Monday, February 2, 2015

Shayari on ज़िन्दगी

खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी;
बस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगी;
हँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिए;
वैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी।
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जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो;
हारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो।
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इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं;
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं;
कैसे अपनी हँसी को ज़ब्त करूँ;
सुन रहा हूँ कि घिर गया हूँ मैं।
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किसी के काम न जो आए वह आदमी क्या है;
जो अपनी ही फिक्र में गुजरे, वह जिन्दगी क्या है।

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कितना और बदलूं खुद को जिंदगी जीने के लिए;
ऐ जिंदगी, मुझको थोडा सा... मुझमे बाकी रहने दे!

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साथ रहते यूँ ही वक़्त गुज़र जायेगा;
दूर होने के बाद कौन किसे याद आयेगा;
जी लो ये पल जब हम साथ हैं;
कल क्या पता वक़्त कहाँ ले जायेगा।

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